शुक्रवार, 10 जून 2022

वेद स्तुति,28




भगवान मन, बुद्धि और इंद्रिय आदि करणो से-(चिंतन कर्म आदि के साधनों से) सर्वथा रहित है। फिर भी भगवान समस्त अंत: करण और बाह्य करणोंकी शक्तियों से सदा सर्वदा संपन्न है।

भगवान स्वतःसिद्ध,ज्ञानवान, स्वयं प्रकाश है; अतः कोई काम करने के लिए भगवानको इंद्रियों की आवश्यकता नहीं है।

जैसे छोटे-छोटे राजा अपनी-अपनी प्रजा से कर लेकर स्वयं अपने सम्राट को कर देते हैं, वैसे ही मनुष्योंके पूज्य देवता और देवताओं के पूज्य बह्मा आदि भी अपने अधिकृत प्राणियों से पूजा स्वीकार करते हैं और मायाके अधीन होकर भगवानकी पूजा करते हैं। वे इस प्रकार भगवानकी पूजा करते हैं कि भगवानने जहां जो कर्म करने के लिए उन्हें नियुक्त कर दिया है वह भगवानसे भयभीत रहकर वहीं वह काम करते रहते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

15 "O"

 Olives,Orchid, Otter,Ostrich,Owl श्री वत्स धामा, ईश असीधरो जनार्दन दामोदरो  विश्वेशरो कालमूर्ति